पूरा साल इक पल में गुज़र जाता है
ये कमबख्त आज है कि गुज़रता नहीं
हर वादे की उमर आज पूरी हुई
उसका सपना है कि फ़िर भी मरता नहीं
खुद को पाया है वापिस इसी साल में
उसे खोने से अब दिल डरता नहीं
यादें अब भी आती हैं फ़ेरी वाले के जैसे
मन आजकल उनसे मोल भाव करता नहीं