Monday, June 2, 2014

Friday, January 10, 2014

वो खत

वो खत अभी भी
मैं रोज़ पढती हूँ,
जिसे जेब में रखने का
वादा किया था तुमने,
दिल लौटाने आये
शायद भूल गए थे
मेरे पास,
सम्भाल रखा है मैने
आओ तो ले जाना.....
वक्त उस दिन भी थम गया था
लम्हे आज भी रुके हैं
अश्क उस दिन भी थे आँखों में
कुछ तो अभी भी रुके हैं
उस दिन भी दुनिया से शिपाना पडा था
आज भी हम न्ज़रें चुरा के बैठे हैं
उस दिन जन्मदिन दिन था उसका
और आज लाश उठा के बैठे हैं

To 4th Anniversary

Four years
Thousand tears
Dreams shattered
Owe to fears
Lost you
Sink in beers
To this day
I say cheers !!!!