meet
Friday, January 10, 2014
वक्त उस दिन भी थम गया था
लम्हे आज भी रुके हैं
अश्क उस दिन भी थे आँखों में
कुछ तो अभी भी रुके हैं
उस दिन भी दुनिया से शिपाना पडा था
आज भी हम न्ज़रें चुरा के बैठे हैं
उस दिन जन्मदिन दिन था उसका
और आज लाश उठा के बैठे हैं
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